Thirukkural
in Marathi
कवी तिरुवल्लुवर: कुरल
तीन पुरुषार्थ
अनुवाद : साने गुरुजि
Publisher:
काँन्टिनेन्टल
प्रकाशन,
पुणे
=============================================================
भग
पहिला: धर्म
|
|
|
1. प्रभुस्तुती
|
6. सद्गुणी भार्येचे सुख
|
2. पर्जन्यस्तुती
|
7. संतती
|
3. निःसंगाचा मोठेपणा
|
8. प्रेम
|
4. सदाचार-माहात्मा
|
9. अतिथि-सत्कार
|
5. कौटुंबिक जीवन
|
10. न खुपणारि वाणि
|
|
|
11. कृतज्ञता
|
16. क्षमा
|
12. न्यायीपणा
|
17. निर्मत्सरता
|
13. संयम
|
18. निर्लोभता
|
14. शुद्ध वर्तन
|
19. निंदा करू नको
|
15. परस्त्रीकडे
|
20. पोकळ बडबड नको
|
|
|
21. असत्यकर्माची भीती
|
26. मांसाशन नको
|
22. सेवा, परकार्यतत्परता
|
27. तप
|
23. भूतदया
|
28. दंभ
|
24. यश
|
29. कपटराहित्य
|
25. दया
|
30. सत्य
|
|
|
31. क्रोधराहित्य
|
35. त्याग
|
32. अहिंसा (अपाय नकरणे)
|
36. सत्याचा साक्षात्कार
|
33. अहिंसा (न मरणे)
|
37. वासनाक्षय
|
34. संसाराची असारता
|
38. नियती (दैव)
|
|
भाग दुसरा: अर्थ
|
39. राजाचे गुण
|
45. सज्जनांची मैत्री
|
40. विद्या
|
46. नीच संगत नको
|
41. शिकण्याच्या बाबतीत काळजी न घेणे
|
47. करण्यापूर्वी विचार
|
42. शहान्यांची शिकवण ऐकणे
|
48. सामर्थ्याचा अंदाज
|
43. समजून घेणे
|
49. योग्य संधी ओळखणे
|
44. दोषांचे निर्मूलन कर
|
50. स्थानपरीक्षा
|
|
|
|
|
51. ज्यांच्यावर विश्वास टाकायचा त्यांची परिक्षा
|
56. छळ
|
52. परीक्षा घेऊन कामावर नेमणे
|
57. दुःखावह गोष्टीं-पासून दूर राहणे
|
53. आप्तेष्टांना संतुष्ट ठेव
|
58. विवेक
|
54. अखंड सावधाबता
|
59. हेरखाते
|
55. न्यायी राज्य
|
60. उत्साह
|
|
|
61. आलस्य
|
66. कर्माचे पावित्र्य
|
62. पुरुषार्थशाली उद्योग
|
67. निश्चयी संकल्पशक्ती
|
63. दुर्दैव आले तरी धीर न सोडणे
|
68. कामॆ नीट करणे
|
64. मंत्री
|
69. दूत (वकील)
|
65. वक्तृत्व
|
70. राजासमॊर कस वागावे
|
|
|
71. तोंडावरून परीक्षा
|
76. द्र्व्य मिळविणे
|
72. श्रोत्यांची वृत्ती ओळखणे
|
77. सैन्य
|
73. सभेतील आत्मविश्वास
|
78. आत्मनिरपेक्ष योद्धा
|
74. देश
|
79. मैत्री
|
75. दुर्ग, किल्केलोट
|
80. मैत्रीसाठी योग्यायोग्य परीक्षा
|
|
|
81. जीवश्च कंठश्च
|
86. विरोधी वृत्ती
|
82. अपायकारक मैत्री
|
87. शत्रूची लक्षणे
|
83. खोटी मैत्री
|
88. उगीच शत्रू निर्माण करणे
|
84. मूर्खपणा
|
89. घरभेदे
|
85. अहंकारी मूर्खपणा
|
90. बलवंतांचा राग
|
|
|
91. बाईलवेडे
|
96. सत्कुल
|
92. वारांगना
|
97. स्व-मान
|
93. सुरापान
|
98. मोठेपणा
|
94. द्यूत
|
99. पात्रता
|
95. औषधे
|
100. सभ्यता
|
|
|
101. संपत्तीचा उपयोग न करणे
|
105. दारिद्रच
|
102. लज्जेची जाणीव
|
106. भिक्षा मागणे
|
103. कुटुंबाला कळा चढवा
|
107. भीक मागणे नको
|
104. कृषी, शॆती
|
108. अधःपतित जीवन
|
|
भाग तिसरा: काम
|
109. सुंदरीने हृदसास केलेली जखम
|
115. किंवदन्ती
|
110. बाह्म लक्षणांनी हृदय ओळखणे
|
116. प्रेमपावित्र्य
|
111. एकत
|
117. विरहशोक; झुरून जाणे
|
112. तिच्या सौंदर्याची स्तुती
|
118. उत्कठेने वाट पाडून दोळे निस्तेज हॊणे
|
113. प्रेमाची महती
|
119. विरही प्रेमामुळे आलेली पांडुरता
|
114.
|
120. पतीला एकरूपता वाटत नाही म्हणून हृदयवेदना
|
|
|
121. दूर असलेल्या प्रियेसाठी सुस्कारे
|
128. अप्रकट विचार समजणे
|
122. स्नप्नस्थितीची स्तुती
|
129. मीलनोत्कंठा
|
123. तिन्हीसांजा जाल्यावार सुस्कारे
|
130. हृदयाची कानउघाडणी
|
124. सुंदर शरीराची कृशता
|
131. प्रेमकलह
|
125. हृदयाला उद्देशून
|
132. प्रेमकलहातील सूक्ष्मता
|
126. मनाचा तोल नि संयम ढासळण्याची भीती
|
133. प्रेमकलहातील गोडी
|
127. प्रेमी जीवांची भेटग्यासाठी ओढ
|
|
|
=============================================
No comments:
Post a Comment