Tuesday, 21 June 2005

तिरुक्कुरळ हिन्दी मे (तमिल से)

भाग: धर्म- कांड
1. ईश्वर- स्तुति
6. सहधर्मिणो
2. वर्षा- महत्व
7. संतान- लाभ
3. संन्यासी- महिमा
8. प्रेम-भाव
4. धर्म पर आग्रह
9. अतिथि- सत्कार
5. गार्हस्थ्य
10. मधुर- भाषण
11. कृतज्ञता
16. क्षमाशीलता
12. मध्यस्थता
17. अनसूयता
13. संयमशोलता
18. निर्लोंभता
14. आचारशीलता
19. अपिशुनता
15. परदारविरति
20. वृथालाप- निषेध
21. पाप- भीरुता
26. माँस- वर्जन
22. लोकोपकारिता
27. तप
28. मिध्याचार
29. अस्तेय
25. दयालुता
30. सत्य
31. अक्रोध
35. संन्यास
32. अहिंसा
36. तत्वज्ञान
33. वध- निषेध
37. तृष्णा का उ़न्मूलन
34. अनित्यता
38. प्रारब्ध

भाग: अर्थ- कांड
39. महीश महिमा
45. सत्संग- लाभ
40. शिक्षा
46. कुसंग- वर्जन
41. अशिक्षा
47. सुविचारित कार्यकुशलता
42. श्रवण
48. शक्ति का बोध
43. बुद्धिमत्ता
49. समय का बोध
44. दोष- निवारण
50. स्थान का बोध
51. परख कर विश्वास करना
56. क्रूर शासन
52. परख कर कार्य सौंपना
57. भयकारी कर्म करना
53. बंधुओं को अपनाना
58. दया- दृष्टि
54. अविस्मृति
59. गुप्तचर- व्यवस्था
55. सुशासन
60. उत्साहयुक्तता
61. आलस्यहोनता
66. कर्म- शुद्धि
62. उद्यमशोलता
67. कर्म में दृढ़ता
63. संकट में अनाकुलता
68. कर्म करने की रीति
64. अमात्य
69. दूत
65. वाक्- पटुत्व
70. राजा से योग्य व्यवहार
71. भावज्ञत
76. वित्त- साधन- विधि
72. सभा- ज्ञान
77. सैन्य- माहात्म्य
73. सभा में निर्भीकता
78. सैन्य- साहस
74. राष्ट्र
79. मैत्री
75. दुर्गी
80. मैत्री की परख
81. चिर- मैत्री
86. विभेद
82. बुरी मैत्री
87. शत्रुता- उत्कर्ष
83. कपट मैत्री
88. शत्रु- शक्ति का ज्ञान
84. मूढ़ता
89. अन्तवैंर
85. अहंम्मन्य मूढ़्ता
90. बड़ों का अपचार करना
91. स्त्री- वश होना
96. कुलोनता
92. वार- वनिता
97. मान
93. मद्य- निषेध
98. महानता
94. जुआ
99. सर्वगुणपूर्णता
95. औषध
100. शिष्टाचार
101. निष्फल धन
105. दरिद्रता
102. लज्जा शोलता
106. याचना
103. वंशोत्कर्ष- विधान
107. याचना- भय
104. कृषि
108. नीचता


भाग: काम- कांड
109. सौंदर्य की पीड़ा
115.प्रवाद जताना
110. संकेत समझना
116. विरह- वेदना
111. संयोग का आनन्द
117. विरह- क्षामा को व्यथा
112. सौंदर्य- वर्णन
118. नेत्रों का आतुरता से क्षय
113. प्रेम- प्रशंसा
119. पीलापन- जनित पीड़ा
114. लज्जा- त्याग- कथन
120. विरह वेदनातिरेक
121. स्मरण में एकान्तता- दःख
128. इंगित से बोध
122. स्वप्नावस्था का वर्णन
129. मिलन- उत्कंठा
123. संध्या- दर्शन से व्यथिअत होना
130. हृदय से रुठना
124. अंगगच्छवि- नाशा
131. मान
125. हृदय से कथन
132. मान की सूक्ष्मता
126. धैर्य- भंग
133. मान का आनन्द
127. उनको उत्कंठा



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